नैतिक कहानी प्रस्तुत है जिसका शीर्षक है "लोभी बंदर और बुद्धिमान कछुआ"। यह कहानी बच्चों को लोभ और स्वार्थ के परिणामों के बारे में सिखाती है।
लोभी बंदर और बुद्धिमान कछुआ
(एक शिक्षाप्रद नैतिक कहानी)
बहुत समय पहले की बात है, एक घना जंगल था। वहाँ तरह-तरह के जानवर और पक्षी रहते थे। उस जंगल के बीचोंबीच एक सुंदर नदी बहती थी, जिसके किनारे हरे-भरे पेड़ थे। उसी नदी के किनारे एक कछुआ रहता था, जिसका नाम था "चीकू"। चीकू बहुत ही समझदार और शांत स्वभाव का था। सभी जानवर उसकी बुद्धिमत्ता की तारीफ़ करते थे।
वहीं दूसरी ओर, एक बंदर था, जिसका नाम था "बब्लू"। बब्लू बहुत ही चंचल और चालाक था, लेकिन उससे भी ज़्यादा वो था – लोभी। उसे हर चीज़ में अपना फायदा ही दिखता था। जंगल के जानवर उससे थोड़ी दूरी बनाकर रखते थे क्योंकि वे जानते थे कि वह केवल स्वार्थी है।
चीकू और बब्लू की दोस्ती
एक दिन चीकू नदी किनारे बैठा अपने फल खा रहा था। तभी बब्लू एक ऊँचे पेड़ से कूदते हुए नीचे आया और बोला, “अरे कछुआ भाई! क्या खा रहे हो?”
चीकू मुस्कराया और बोला, “ये मीठे बेर हैं, जो पेड़ से गिरे थे। तुम भी खा लो।”
बब्लू ने बेर खाए और बहुत खुश हुआ। उसने सोचा, “यह कछुआ तो बड़ा दयालु है, क्यों न इससे दोस्ती कर लूँ? जब चाहूँ इसका फायदा उठा सकूँगा।”
बब्लू ने चीकू से कहा, “हम दोनों अच्छे दोस्त बन सकते हैं, क्या कहते हो?”
चीकू ने विनम्रता से कहा, “क्यों नहीं! दोस्ती में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।”
इस तरह दोनों की दोस्ती हो गई।
चालाकी की शुरुआत
अब बब्लू रोज़ चीकू के पास आता, उससे कुछ खाने को लेता और फिर चला जाता। चीकू बिना किसी शिकायत के सब कुछ बाँटता।
एक दिन बब्लू ने पूछा, “चीकू भाई, क्या तुम्हारे पास और भी खाने की चीज़ें होती हैं?”
चीकू ने कहा, “हाँ, नदी के उस पार एक छोटा-सा बाग है जहाँ बहुत मीठे आम लगते हैं। मैं वहाँ से आम लाकर खाता हूँ।”
बब्लू की आँखें चमक उठीं। वह बोला, “मुझे भी वहाँ ले चलो न! मुझे आम बहुत पसंद हैं।”
चीकू ने कहा, “ठीक है, लेकिन तुम्हें नदी पार करनी पड़ेगी। मैं तुम्हें अपनी पीठ पर बिठा कर ले चल सकता हूँ, अगर तुम गिरने से नहीं डरते।”
बब्लू ने हँसते हुए कहा, “मैं तो पेड़ों पर उछलने वाला बंदर हूँ, गिरने से क्या डरूँगा?”
नदी पार का सफर
अगले दिन चीकू ने बब्लू को अपनी पीठ पर बिठाया और नदी पार कराने लगा। बब्लू थोड़ा डरा, लेकिन धीरे-धीरे उसे मज़ा आने लगा। चीकू की पीठ पर बैठकर वह खुद को राजा समझने लगा।
जब वे नदी के बीच पहुँचे, तो बब्लू ने सोचा, “अगर इस कछुए को नदी में धक्का दे दूँ, तो मैं आम के बाग पर अकेले अधिकार कर सकता हूँ।”
पर तभी उसे यह भी ध्यान आया कि वह तैर नहीं सकता।
चीकू ने कहा, “बब्लू, क्या सोच रहे हो?”
बब्लू ने झूठी मुस्कान देते हुए कहा, “कुछ नहीं, बस हवा का मज़ा ले रहा हूँ।”
लालच की हद
जब वे आम के बाग पहुँचे, तो बब्लू ने इतने आम खाए कि उसकी तबियत खराब हो गई। चीकू ने मना किया था कि ज़्यादा मत खाना, लेकिन बब्लू ने नहीं सुना।
अगले दिन, बब्लू ने फिर नदी पार जाने की ज़िद की। अब तो वह रोज़ ही आम खाने जाने लगा। हर बार चीकू उसे ले जाता और वापस लाता।
एक दिन बब्लू ने सोचा, “मैं रोज़-रोज़ इस कछुए पर निर्भर क्यों रहूँ? क्यों न इसे रास्ते से हटा दूँ और आमों का बाग मेरा हो जाए?”
उसने एक योजना बनाई।
धोखे की योजना
बब्लू ने चीकू से कहा, “चीकू भाई, मैं सोच रहा हूँ कि तुम्हें एक खास आम दिखाऊँ जो पेड़ के सबसे ऊपर है। तुम उसे देखकर दंग रह जाओगे।”
चीकू ने कहा, “ठीक है, दिखाओ।”
बब्लू ने उसे एक पेड़ के नीचे खड़ा कर दिया और ऊपर चढ़ गया। वहाँ से उसने एक पका हुआ आम तोड़ा और चीकू को दिखाया।
“देखा, कितना बड़ा आम है! इसे पकड़ो।”
जैसे ही चीकू ने हाथ बढ़ाया, बब्लू ने आम उसकी पीठ पर दे मारा जिससे वह उलट गया।
फिर वह ज़ोर से हँसते हुए बोला, “अब तू नदी पार कराने लायक नहीं रहा। मैं अब खुद आमों का मालिक बनूँगा!”
चीकू को चोट लगी लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। उसने बस चुपचाप नदी पार करके वापस लौटने का निश्चय किया।
बुद्धिमानी का बदला
बब्लू अब अकेला आमों के बाग में रहने लगा। लेकिन कुछ ही दिनों में उसे एहसास हुआ कि वहाँ अकेले रहना बहुत मुश्किल है।
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वहाँ जानवर बहुत आ जाते थे।
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उसे डर भी लगता था।
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और सबसे बड़ी बात – आम रोज़-रोज़ नहीं पकते थे।
उसे अब चीकू की अहमियत समझ में आने लगी।
वहीं दूसरी ओर चीकू ने एक नई योजना बनाई। उसने शेर, हाथी और हिरण से दोस्ती की और उन्हें अपनी परेशानी बताई।
शेर ने कहा, “तू चिंता मत कर, हम सब मिलकर उस बंदर को सबक सिखाएँगे।”
बब्लू का अंत
अगले दिन शेर, हाथी और हिरण आम के बाग पहुँचे। बब्लू पेड़ पर बैठा हुआ आम खा रहा था।
शेर ने गरजते हुए कहा, “यह आमों का बाग अब जंगल की संपत्ति है, किसी एक का नहीं। तुमने धोखे से इसे हड़पने की कोशिश की, अब तुम्हें इसकी सज़ा मिलेगी।”
बब्लू डर के मारे काँपने लगा।
हाथी ने ज़ोर से पेड़ हिलाया जिससे बब्लू नीचे गिर गया।
हिरण ने कहा, “चलो, अब इसे जंगल से निकाल देना चाहिए।”
शेर ने बब्लू को चेतावनी दी, “अगर दोबारा ऐसा किया, तो जंगल की अदालत में तुम्हारे लिए कोई रहम नहीं होगा।”
बब्लू रोता-गिड़गिड़ाता हुआ जंगल छोड़कर चला गया।
चीकू की जीत
अब आम का बाग सब जानवरों के लिए खुला था। चीकू वहाँ एक छोटा सा घर बनाकर रहा और सभी जानवरों को मिलकर फल बाँटता।
उसे फिर से सबका सम्मान और प्यार मिला। और चूंकि उसने बदला नहीं लिया बल्कि समझदारी से समस्या सुलझाई, सब उसे ‘बुद्धिमान कछुआ’ कहने लगे।
नैतिक शिक्षा:
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लोभ व्यक्ति को पतन की ओर ले जाता है।
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स्वार्थ से की गई दोस्ती कभी टिकती नहीं।
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बुद्धिमानी से हर समस्या का समाधान संभव है।
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धोखा देने वाला कभी शांति से नहीं रह सकता।
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