परिश्रम का फल
बहुत समय पहले की बात है, भारत के एक छोटे से गाँव में राजू नाम का एक लड़का रहता था। राजू का परिवार बहुत गरीब था। उसके पिता एक मजदूर थे और माता गाँव की महिलाओं के कपड़े सिलकर घर चलाने में मदद करती थीं।
हालाँकि उनके पास बहुत अधिक साधन नहीं थे, लेकिन राजू के माता-पिता ने उसे सिखाया था कि ईमानदारी और मेहनत से जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
राजू एक होशियार लड़का था। वह पढ़ाई में बहुत अच्छा था, लेकिन उसके पास किताबें खरीदने के पैसे नहीं थे। वह गाँव की पुरानी लाइब्रेरी से किताबें उधार लेकर पढ़ता था। उसके अंदर कुछ बड़ा करने की इच्छा थी, लेकिन गरीबी उसकी सबसे बड़ी चुनौती थी।
गर्मी की छुट्टियों में, जब उसके दोस्त घूमने और खेलने में लगे रहते थे, राजू खेतों में काम करता था। वह दिनभर मजदूरी करता और शाम को पढ़ाई करता। कई बार उसकी थकान उसे हताश कर देती, लेकिन उसके माता-पिता ने उसे सिखाया था कि संघर्ष ही सफलता की कुंजी है।
गाँव में बहुत से लोग थे जो राजू का मज़ाक उड़ाते थे। वे कहते, "तू इतना मेहनत क्यों करता है? गरीब लोग कभी अमीर नहीं बनते।"
लेकिन राजू ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया। वह अपने सपनों की ओर बढ़ता रहा।
एक दिन गाँव के स्कूल में एक प्रतियोगिता हुई। विजेता को शहर के एक बड़े स्कूल में पढ़ने का मौका मिलने वाला था।
राजू ने बिना किसी संकोच के प्रतियोगिता में भाग लिया। वह पूरी रात मेहनत करता, नोट्स तैयार करता और अपनी कमजोरियों पर काम करता।
प्रतियोगिता का दिन आया। सवाल मुश्किल थे, लेकिन राजू ने आत्मविश्वास के साथ उत्तर दिए। जब परिणाम घोषित हुए, तो राजू ने पहला स्थान प्राप्त किया!
अब उसे शहर में एक बड़े स्कूल में पढ़ने का मौका मिला, और वह अपनी मेहनत से गाँव का गर्व बन गया।
शहर में पढ़ाई आसान नहीं थी। वहाँ प्रतियोगिता बहुत अधिक थी और बाकी छात्र अमीर परिवारों से थे।
लेकिन राजू ने हार नहीं मानी। उसने अपनी पढ़ाई को प्राथमिकता दी और दिन-रात मेहनत की। कई बार वह अकेला महसूस करता था, लेकिन उसने कभी अपने लक्ष्य से भटकने नहीं दिया।
कुछ वर्षों बाद, उसने अच्छे अंकों से परीक्षा पास की और एक प्रतिष्ठित कॉलेज में दाखिला लिया।
वर्षों की मेहनत और संघर्ष के बाद, राजू ने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक बड़ी कंपनी में नौकरी पा ली। अब वह एक सम्मानित व्यक्ति बन चुका था।
लेकिन उसकी सबसे बड़ी सफलता यह थी कि वह अपने गाँव वापस गया और वहाँ एक स्कूल बनवाया। उसने अपने जैसे गरीब बच्चों की मदद की, ताकि वे भी अपने सपनों को पूरा कर सकें।
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि संघर्ष और परिश्रम से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है। यदि हम ईमानदारी और मेहनत से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें, तो सफलता निश्चित है।
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