ईमानदारी का पुरस्कार
भारत के एक छोटे से गाँव में अर्जुन नाम का एक गरीब किसान रहता था। वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ एक छोटे से मिट्टी के घर में रहता था। अर्जुन के पास ज्यादा जमीन नहीं थी, लेकिन वह जो भी मेहनत करता, पूरी ईमानदारी और लगन से करता था।
गर्मी का मौसम था और बारिश न होने के कारण अर्जुन की फसल सूखने लगी। खेतों में दरारें पड़ गईं और उसे समझ नहीं आ रहा था कि घर का खर्च कैसे चलेगा। उसके पास बचत के लिए कुछ भी नहीं था, और गाँव का साहूकार उसे बार-बार कर्ज लेने का दबाव डाल रहा था।
एक दिन, अर्जुन गाँव के पास एक जंगल में लकड़ियाँ इकट्ठा करने गया, ताकि वह उन्हें बेचकर कुछ पैसे कमा सके। जैसे ही वह जंगल में पहुँचा, उसकी नजर एक चमचमाते पर्स पर पड़ी, जो रास्ते में पड़ा था।
उसने पर्स उठाया और देखा कि उसमें काफी पैसे थे। अर्जुन की आँखें चौड़ी हो गईं। अगर वह ये पैसे रख ले, तो उसकी सारी परेशानियाँ खत्म हो सकती थीं। वह अपने खेतों को बचा सकता था, अपने बच्चों को अच्छे स्कूल भेज सकता था, और अपनी पत्नी को आराम से जीवन दे सकता था।
लेकिन तभी उसके भीतर की ईमानदारी ने उसे झकझोर दिया। उसने सोचा, ये पैसे किसी और के हैं। किसी को इनकी ज़रूरत हो सकती है। क्या मुझे इन्हें लौटाना चाहिए?
अर्जुन का मन अंदर ही अंदर लड़ाई लड़ रहा था। आखिरकार, उसने तय किया कि वह पर्स को गाँव के मुखिया के पास लेकर जाएगा और मालिक को खोजने की कोशिश करेगा।
गाँव पहुँचकर अर्जुन ने मुखिया से कहा, मुझे जंगल में यह पर्स मिला है। कृपया पता करें कि यह किसका है।
मुखिया ने पर्स की जाँच की और पाया कि उसमें एक व्यापारी का पहचान पत्र था। मुखिया ने तुरंत गाँव के लोगों को बुलाकर व्यापारी के बारे में पूछताछ की।
कुछ ही देर में, गाँव का एक प्रसिद्ध व्यापारी, धनराज, वहाँ पहुँचा। जैसे ही उसने पर्स देखा, उसकी आँखों में चमक आ गई। वह घबराया हुआ था क्योंकि उसमें उसके व्यापार के बहुत महत्वपूर्ण दस्तावेज थे।
धनराज ने अर्जुन की ओर देखा और कहा, तुमने मेरी जिंदगी बचा ली! इस पर्स में मेरी कंपनी के महत्वपूर्ण कागजात थे। अगर ये खो जाते, तो मुझे बहुत बड़ा नुकसान होता। तुम्हारी ईमानदारी ने मुझे एक नई सीख दी।
धनराज ने धन्यवाद के रूप में अर्जुन को इनाम देने की पेशकश की। पहले तो अर्जुन ने मना किया, क्योंकि उसने बिना किसी लालच के पर्स लौटाया था। लेकिन मुखिया ने समझाया कि यह अर्जुन की ईमानदारी का सम्मान है।
धनराज ने अर्जुन को धनराशि दी और इसके अलावा, उसकी फसल के लिए आवश्यक मदद भी प्रदान की।
कुछ ही समय में, अर्जुन का खेत फिर से लहलहा उठा, और उसकी जिंदगी खुशियों से भर गई। उसने महसूस किया कि ईमानदारी हमेशा फल देती है, और सही रास्ता चुनने से जीवन में सच्ची संतुष्टि मिलती है।
नैतिक शिक्षा
यह कहानी हमें सिखाती है कि जब हम सच्चाई और ईमानदारी का मार्ग चुनते हैं, तो भले ही वह कठिन लगे, अंततः वह हमें सफलता और सम्मान दिलाता है।
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