ईमानदारी की ताकत - नैतिक कहानी

ईमानदारी की ताकत

ईमानदारी की ताकत


किसी समय की बात है, एक छोटे से गाँव में रघु नाम का एक गरीब लड़का रहता था। उसकी माँ गाँव में सिलाई का काम करती थी, और उसके पिता खेतों में मजदूरी करते थे। रघु पढ़ाई में बहुत अच्छा था, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण, उसकी किताबें और स्कूल की फीस का इंतजाम करना बहुत मुश्किल था।  


गाँव में एक अमीर व्यापारी, श्रीमान मेहरा, रहते थे। वह बहुत सख्त और अनुशासनप्रिय थे, और उनके पास कई नौकर-चाकर थे। उनकी एक बड़ी आम की बगिया थी, जिसमें मीठे और रसीले आम लगते थे। उन्होंने यह सख्त नियम बना रखा था कि कोई भी बिना उनकी अनुमति के उनके बगीचे में नहीं जा सकता।  


एक दिन, जब रघु स्कूल से लौट रहा था, तो उसने देखा कि आम के बगीचे से एक आम टूटकर बाहर गिरा पड़ा था। वह आम बहुत ही सुंदर और पका हुआ था। रघु की इच्छा हुई कि वह आम को उठा ले, क्योंकि घर पर खाने को कुछ अच्छा नहीं था, लेकिन उसकी ईमानदारी ने उसे रोक दिया।  


उसने सोचा, "यह आम श्रीमान मेहरा का है। बिना उनकी अनुमति के इसे उठाना चोरी होगी।"  


रघु आम को उठाकर सीधा श्रीमान मेहरा के घर गया और कहा, "श्रीमान, यह आम आपकी बगिया से गिरा है। मुझे लगा कि आपको इसे लौटा देना चाहिए।"  


श्रीमान मेहरा को बहुत आश्चर्य हुआ। उन्होंने सोचा, "आजकल कोई भी इतना ईमानदार नहीं होता। यह लड़का सचमुच कुछ अलग है।"  


उन्होंने रघु से उसके बारे में पूछा, और जब उन्हें पता चला कि वह पढ़ाई में अच्छा है लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर है, तो वे बहुत प्रभावित हुए।  


उन्होंने कहा, "रघु, तुम्हारी ईमानदारी को देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। तुम्हें यह आम खाने का पूरा अधिकार था, लेकिन फिर भी तुमने उसे लौटाना जरूरी समझा। मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ।"  


उस दिन से, श्रीमान मेहरा ने रघु की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का फैसला किया। उन्होंने उसे किताबें, स्कूल की फीस और ज़रूरी चीज़ें दिलाईं।  


रघु ने कड़ी मेहनत की और कुछ सालों में वह एक सफल अधिकारी बन गया। उसने पूरे गाँव में ईमानदारी और सच्चाई का उदाहरण स्थापित किया।  


कहानी की सीख: 

ईमानदारी हमेशा सम्मान और सफलता की ओर ले जाती है। जब हम सच्चाई और ईमानदारी से जीते हैं, तो हमें जीवन में अच्छे अवसर मिलते हैं।  


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