मित्रता का असली मूल्य - जंगल की सीख एक नैतिक कहानी

मित्रता का असली मूल्य - जंगल की सीख



गहरे जंगल में एक चतुर लोमड़ी, चिरकी और दयालु हाथी, बलराम रहते थे। चिरकी हमेशा चालाकी से हर काम करती थी, और बलराम अपनी विशालकाय ताकत से दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता था।  


मगर चिरकी को लगता था कि केवल चालाकी से ही जीवन में हर समस्या हल हो सकती है। उसे कभी किसी पर भरोसा नहीं था और वह केवल अपने ही फायदे के बारे में सोचती थी।  


एक दिन जंगल में एक बड़ा संकट आया-जंगल के किनारे एक गहरा दलदल था, और एक दिन तेज़ बारिश के बाद, कई जानवर उसमें गिरने लगे।  


चिरकी और बलराम दोनों वहाँ पहुंचे।  

चिरकी बोली, "अगर मैं इन जानवरों की मदद करूँगी, तो मुझे क्या मिलेगा?"  

बलराम ने कहा, "मदद करने के लिए कोई इनाम नहीं चाहिए, सच्ची दोस्ती ही सबसे बड़ा इनाम है!"


मुसीबत में असली दोस्त 

अचानक, चिरकी खुद फिसलकर गहरे दलदल में गिर गई! उसने अपनी सारी चालाकी लगाई, मगर कुछ काम नहीं आया। वह फंसती जा रही थी।  


"कोई मेरी मदद कर सकता है?" उसने डरते हुए आवाज़ लगाई।  

सभी जानवर डर गए, मगर बलराम बिना समय गंवाए आगे बढ़ा। उसने अपनी मजबूत सूंड से चिरकी को धीरे-धीरे बाहर खींचा और सुरक्षित जगह पर रख दिया।  


चिरकी को एहसास हुआ कि सच्चा मित्र वही होता है, जो बिना किसी स्वार्थ के मदद करे।  


🏆 सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची दोस्ती केवल चालाकी या ताकत पर नहीं, बल्कि विश्वास, निःस्वार्थता और सहयोग पर टिकी होती है।  


"सच्ची दोस्ती इनाम की मोहताज नहीं होती, बल्कि खुद सबसे बड़ा इनाम होती है!"


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