मित्रता का अनमोल धन- नैतिक कहानी

मित्रता का अनमोल धन

मित्रता का अनमोल धन नैतिक कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में दो मित्र रहते थे- राजू और अर्जुन। दोनों बचपन से एक-दूसरे के साथ खेलते, हँसते और दुख-सुख बाँटते आए थे। उनका मित्रता का बंधन इतना गहरा था कि गाँव के सभी लोग उनकी मिसाल देते थे।


एक दिन गाँव में एक व्यापारी आया, जो लोगों को धन कमाने के नए तरीके बता रहा था। उसने घोषणा की, "जो कोई भी सात दिन तक जंगल में रहकर बिना किसी मदद के जीवित रहेगा, उसे मैं सौ स्वर्ण मुद्राएँ दूँगा!"


राजू और अर्जुन ने यह चुनौती स्वीकार कर ली। उन्होंने सोचा कि यह उनके जीवन को बदलने का मौका है।  


अगले ही दिन वे जंगल की ओर चल पड़े। पहले दिन तो उन्हें बहुत मज़ा आया, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतने लगा, कठिनाइयाँ बढ़ने लगीं। खाने की कमी, जंगली जानवरों का डर, और थकावट ने उन्हें कमजोर कर दिया।  


एक रात जब अर्जुन गहरी नींद में था, राजू को एक शेर की गरज सुनाई दी। वह डर गया और भागने का मन बनाया। लेकिन फिर उसने सोचा, "अगर मैं अर्जुन को यहाँ छोड़कर भाग जाऊँ, तो हमारी मित्रता का क्या होगा?"


राजू ने हिम्मत जुटाई और अर्जुन को जगाया। दोनों ने मिलकर एक ऊँचे पेड़ पर चढ़कर रात बिताई। इस तरह वे सुरक्षित रहे।


सात दिन पूरे होने के बाद वे व्यापारी के पास लौटे। व्यापारी ने उन्हें देखकर पूछा, "क्या तुमने जंगल में बिना किसी मदद के रहकर यह चुनौती पूरी की?"


अर्जुन मुस्कराया और बोला, "हमने कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन हमारी मित्रता ने हमें मजबूत रखा। हमें सौ स्वर्ण मुद्राएँ मिले या न मिले, लेकिन हमने असली धन पाया-मित्रता का अनमोल उपहार!"


व्यापारी उनकी बातें सुनकर प्रभावित हुआ और उन्हें पुरस्कृत किया।  


शिक्षा

यह कहानी हमें सिखाती है कि मित्रता और आपसी विश्वास जीवन के सबसे बड़े धन हैं। कठिन परिस्थितियों में भी सच्चे मित्र हमें ताकत देते हैं और सफलता का रास्ता दिखाते हैं।  

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