जादुई छड़ी
बहुत समय पहले की बात है। एक शांत और सुंदर गाँव था – हरे-भरे खेत, नीली नदियाँ और सच्चे दिलों वाले लोग। उस गाँव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम था अर्जुन। अर्जुन एक गरीब किसान का बेटा था, लेकिन उसमें एक खास बात थी – वह बेहद ईमानदार, मेहनती और दूसरों की मदद करने वाला था।
अर्जुन को बचपन से ही जादू और कहानियाँ बहुत पसंद थीं। जब भी वह अपने दादा से फुर्सत में बैठता, उनसे कहानियाँ सुनता – परियों की, दानवों की, और जादुई वस्तुओं की। एक दिन उसके दादा ने कहा, “अगर तुम्हारा दिल सच्चा है, तो एक दिन तुम्हें भी कोई जादुई चीज़ मिल सकती है जो तुम्हारी ज़िन्दगी बदल दे।”
अर्जुन यह सुनकर मुस्कराया और अपने सपनों में खो गया।
एक दिन अर्जुन जंगल में लकड़ियाँ काटने गया। दोपहर का समय था, सूरज सर पर था, और पसीना उसके चेहरे पर बह रहा था। तभी उसने पास ही एक पेड़ के नीचे कुछ चमकता हुआ देखा। जब वह पास गया, तो देखा कि एक सुनहरी छड़ी ज़मीन में आधी गड़ी हुई है।
अर्जुन ने छड़ी उठाई, और तभी एक चमकदार रौशनी फैली और एक मधुर आवाज़ गूंजी – “यह जादुई छड़ी है, लेकिन इसका उपयोग केवल वही कर सकता है जिसका दिल शुद्ध हो, जो स्वार्थी न हो और जो दूसरों की मदद करना जानता हो।”
अर्जुन हैरान था, लेकिन उसे डर नहीं लगा। उसने छड़ी को अपनी झोली में रखा और घर लौट आया।
अर्जुन ने उस रात छड़ी को लेकर धीरे-धीरे कहा, “अगर तुम सच में जादुई हो, तो मेरी माँ की आँखों की बीमारी ठीक कर दो।”
माँ की आंखें पिछले कुछ महीनों से धुंधली देख रही थीं और उनके पास इलाज के पैसे नहीं थे। जैसे ही अर्जुन ने यह कहा, छड़ी से एक हल्की सी रौशनी निकली और उसकी माँ की आँखों पर पड़ी।
अगली सुबह जब माँ उठीं, तो वे पूरी तरह ठीक थीं। उन्होंने अर्जुन से कहा, “बेटा, मेरी आँखें अब सब कुछ साफ-साफ देख पा रही हैं। क्या यह कोई चमत्कार है?”
अर्जुन मुस्कराया, लेकिन कुछ नहीं बोला।
अर्जुन ने छड़ी का इस्तेमाल कभी अपने लिए नहीं किया। वह गाँव के उन लोगों की मदद करने लगा जिन्हें ज़रूरत थी – किसी के घर की फसल सूख गई थी, तो किसी की बेटी की शादी में परेशानी थी, तो किसी की गाय बीमार थी। वह सबकी मदद करता रहा।
धीरे-धीरे गाँव में उसका नाम फैलने लगा, लेकिन उसने कभी नहीं बताया कि उसके पास कोई जादुई छड़ी है। लोग उसे "देवता समान लड़का" कहने लगे।
एक दिन पास के शहर से एक व्यापारी गाँव आया। वह बहुत चालाक और लालची था। उसने देखा कि अर्जुन जैसे गरीब लड़के के पास अचानक सब कुछ बदल गया है – लोगों की समस्याएं हल हो रही हैं, और सब अर्जुन की तारीफ कर रहे हैं।
उसने अर्जुन का पीछा किया और जादुई छड़ी का राज़ जान लिया।
रात को व्यापारी ने अर्जुन के घर में चोरी से घुसकर छड़ी चुरा ली। उसने सोचा, “अब मैं इस छड़ी से अमीर बन जाऊँगा।”
सुबह होते ही व्यापारी ने छड़ी को हाथ में लेकर कहा, “मेरे लिए सोने का महल बना दो!”
लेकिन छड़ी से कोई रौशनी नहीं निकली।
उसने फिर कहा, “मुझे दुनिया का सबसे अमीर आदमी बना दो!”
कुछ नहीं हुआ।
वह गुस्से में चिल्लाने लगा, लेकिन तब छड़ी से एक आवाज़ आई – “तुम स्वार्थी हो, और इस छड़ी का उपयोग केवल वही कर सकता है जो दूसरों की भलाई चाहता हो। तुम्हारे लालच ने तुम्हें अंधा बना दिया है।”
अचानक एक तेज़ चमक हुई और छड़ी गायब हो गई।
जब अर्जुन को छड़ी के चोरी होने का पता चला, तो वह बहुत दुखी हुआ। लेकिन फिर उसने सोचा, “मैंने छड़ी से जो कुछ भी किया, वह दूसरों की मदद के लिए किया। अगर छड़ी चली गई है, तो शायद वह किसी और नेक इंसान के पास जाएगी।”
उसे उम्मीद थी कि अगर वह बिना छड़ी के भी मदद करता रहेगा, तो यही असली जादू है।
कुछ महीनों बाद, गाँव में बहुत बुरा सूखा पड़ा। सारे लोग परेशान हो गए। अर्जुन ने अपनी बची हुई अनाज की थैली सभी गरीबों में बाँट दी।
जब गाँव के लोग भूखे थे, तब अर्जुन ने खुद भूखा रहकर दूसरों को खिलाया।
एक रात, जब वह भूख से थककर पेड़ के नीचे सो गया, तो उसे एक सपना आया। उसमें वही आवाज़ फिर से गूंजी – “तुमने दिखा दिया कि बिना जादुई छड़ी के भी एक सच्चा दिल कितना कुछ कर सकता है। इसलिए मैं तुम्हें एक नया वरदान देती हूँ – तुम्हारे हाथ से जो भी नेक काम किया जाएगा, वह सफल होगा।”
जब अर्जुन जागा, तो देखा कि उसके हाथ में एक नई छड़ी थी, लेकिन यह छड़ी साधारण लकड़ी की थी – कोई चमक नहीं, कोई रौशनी नहीं।
पर इस बार वह समझ गया था – असली जादू छड़ी में नहीं, इंसान के दिल और कर्मों में होता है।
नैतिक शिक्षा:
“जादू उन्हीं के साथ होता है जो दिल से दूसरों की मदद करते हैं। लालच, धोखा और स्वार्थ से कभी कुछ हासिल नहीं होता। असली जादू इंसान की सच्चाई, मेहनत और सेवा में होता है।”
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