असली ताकत - एक जंगल की सीख
गहरे जंगल में एक विशाल बड़ का पेड़ था, जहाँ कई जीव-जंतु रहते थे। इस जंगल में हर जानवर का अपना तरीका था जीने का कुछ तेज़, कुछ चालाक, और कुछ शक्तिशाली। मगर एक खास जानवर था जो हर किसी की नज़रों में कमजोर समझा जाता था। छोटा कछुआ, टिमटिम।
हर दिन जंगल के अन्य जानवर उसे देख कर हंसते "अरे टिमटिम, इतनी धीमी चाल में तुम जंगल में कैसे जिंदा रहोगे?" मगर टिमटिम मुस्कुराता, क्योंकि उसे पता था कि सच्ची ताकत केवल बाहरी रूप में नहीं होती।
एक दिन जंगल के राजा शेर, वीरसिंह ने घोषणा की "हम एक प्रतियोगिता करेंगे! जो इस जंगल की सबसे कठिन परीक्षा पास करेगा, वही असली ताकतवर कहलाएगा!"
प्रतियोगिता के लिए जंगल के कई जानवर उत्साहित थे। तेज़ दौड़ने वाला हिरण, बुद्धिमान लोमड़ी, विशालकाय हाथी, और शक्तिशाली गोरिल्ला। सब सोच रहे थे कि टिमटिम तो पहले ही हार जाएगा!"
शेर ने चुनौती दी "तुम्हें इस जंगल की सबसे ऊँची पहाड़ी पर जाकर वहाँ से जंगल की सबसे मूल्यवान वस्तु लानी होगी।"
सभी जानवर गर्व से खड़े हो गए और दौड़ शुरू हुई।
- हिरण सबसे तेज़ था, मगर ऊँची पहाड़ी पर चढ़ते ही उसका संतुलन बिगड़ गया, और वह गिर पड़ा।
- लोमड़ी चालाक थी, मगर रास्ते में उसे एक कठिन पहेली से गुजरना था, जिसे हल करने में बहुत समय लग गया।
-हाथी ताकतवर था, मगर उसकी भारी चाल की वजह से वह बहुत धीरे-धीरे बढ़ रहा था।
-गोरिल्ला ज़बरदस्त था, मगर जंगल की गहरी खाई ने उसे रोक दिया।
पर टिमटिम? वह धीरे मगर स्थिर चाल से चलता रहा। धैर्य, अवलोकन, और समझदारी से उसने हर चुनौती को पार किया।
जब प्रतियोगिता खत्म हुई, हर कोई हैरान था। टिमटिम विजेता बन चुका था! उसने पहाड़ी पर चढ़कर जंगल की सबसे मूल्यवान वस्तु—एक सदियों पुराना ज्ञानसूत्र लेकर आया।
शेर मुस्कुराया और कहा,आज हमने सीखा कि असली ताकत केवल तेज़ी, शक्ति या चालाकी में नहीं, बल्कि धैर्य, बुद्धिमत्ता, और सही सोच में होती है।"
सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि -
सफलता केवल ताकत और चालाकी से नहीं मिलती, बल्कि धैर्य, समझदारी, और सही दिशा में बढ़ने से मिलती है।
"धैर्य और मेहनत ही असली ताकत है!"
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