दूध का घड़ा और लालच की सजा - नैतिक कहानी

दूध का घड़ा और लालच की सजा

दूध का घड़ा और लालच की सजा


बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में वीर नामक एक निर्धन लेकिन ईमानदार युवक रहता था। वह दिन-रात मेहनत करता, लेकिन हमेशा ही गरीबी में जीवन बिता रहा था। उसकी माता वृद्ध थी और उसकी देखभाल करने के लिए वीर हर प्रकार की मेहनत करने को तैयार था।  

एक दिन वीर को एक अमीर व्यापारी के यहाँ काम करने का अवसर मिला। उसकी ईमानदारी और मेहनत देखकर व्यापारी ने उसे महीने के अंत में एक मुट्ठी सोने के सिक्के देने का वादा किया। वीर खुशी-खुशी काम करने लगा और मन ही मन सोचने लगा कि इन सिक्कों से वह अपनी माँ की अच्छी सेवा कर सकेगा।  

एक दिन काम पूरा करने के बाद वीर थका हुआ घर जा रहा था। रास्ते में उसने देखा कि एक बूढ़ा साधु एक चट्टान के नीचे बैठा ध्यान कर रहा था। वीर को लगा कि यहु नहीं है, उसमें कुछ विशेषता है। उसने साहस करके साधु से पूछा, "महात्मा जी, क्या आप मुझे जीवन की कोई महत्वपूर्ण सीख दे सकते हैं?"  

साधु ने मुस्कराकर वीर की ओर देखा और कहा, **"बेटा, यह संसार छल और प्रपंच से भरा है। ईमानदारी और सद्गुण की राह कठिन होती है, लेकिन अंत में वही व्यक्ति सफल होता है जो सत्य और मेहनत के मार्ग पर चलता है।"

वीर ने इन शब्दों को ध्यान से सुना और साधु को प्रणाम कर अपने घर लौट गया। 

कुछ महीनों बाद, जब वीर ने व्यापारी के घर में काफी मेहनत कर ली थी, तो व्यापारी ने उसे अपने वचन के अनुसार कुछ सोने के सिक्के दिए। वीर बहुत खुश था। उसी दिन उसकी माँ ने उसे पास बुलाकर कहा, "बेटा, जीवन में सच्चे आनंद का स्रोत दूसरों की सेवा है। इन सिक्कों का उपयोग सोच-समझकर करना।"  

वीर ने सोचा कि वह इन सिक्कों को व्यापार में लगाएगा और अच्छा धन अर्जित करेगा।  

अगले दिन वह बाजार गया और वहाँ एक वृद्ध दूधवाला देखा, जो एक घड़ा लेकर बैठा था। वृद्ध ने वीर को बताया कि यह घड़ा जादुई है, इसमें जो भी द्रव्य डाला जाएगा, वह दुगना हो जाएगा।  

वीर को अपनी माँ की सीख याद आई, लेकिन लालच ने उसे जकड़ लिया। उसने अपने सारे सिक्के देकर घड़ा खरीद लिया और घर ले आया।  

वीर ने सोचा कि वह इस घड़े में दूध डालकर इसे दुगना कर देगा और बेचकर बहुत धन कमाएगा। उसने घड़े में दूध डाला, लेकिन कुछ ही देर में घड़ा खाली हो गया। वह बार-बार ऐसा करता रहा, लेकिन हर बार दूध गायब हो जाता।  

अब वीर को एहसास हुआ कि उसने अपने धन को बिना सोचे-समझे खर्च कर दिया। उसकी माँ ने उससे कहा, "बेटा, जीवन में कोई भी चीज़ बिना मेहनत के नहीं मिलती। जो लोग लालच करते हैं, वे अंततः धोखा खाते हैं।"

वीर ने अपनी गलती स्वीकार की और फिर से मेहनत करके धन अर्जित करने का निश्चय किया।  

सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईमानदारी और मेहनत से ही सफलता प्राप्त होती है। बिना सोचे-समझे निर्णय लेना और लालच करना अंततः नुकसानदायक होता है।

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