करुणा की शक्ति - नैतिक कहानी

करुणा की शक्ति

करुणा की शक्ति


बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव में  अनिल नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत होशियार था और अपनी मेहनत से पढ़ाई करता था। लेकिन उसकी एक आदत थी। वह जरूरतमंदों की परवाह नहीं करता था।  


एक दिन, जब अनिल स्कूल से लौट रहा था, उसने देखा कि एक बूढ़े व्यक्ति सड़क किनारे बैठे थे, ठंड में काँप रहे थे। उनके पास कोई गर्म कपड़ा नहीं था, और वह बहुत कमजोर दिख रहे थे।  


अनिल ने सोचा,

यह मेरे काम की बात नहीं है। किसी और को उनकी मदद करनी चाहिए।

और वह आगे बढ़ गया।  


कुछ दिनों बाद, गाँव में बहुत तेज बारिश हुई। अनिल अपने घर में सुरक्षित था, लेकिन जब वह बाहर निकला, तो उसने देखा कि कई लोग जिनके घर कमजोर थे, बारिश के कारण बेघर हो गए थे।  


वह स्कूल गया, लेकिन उसकी किताबें भीग चुकी थीं। वह दुखी था और सोच रहा था कि किसी ने उसकी मदद क्यों नहीं की। तभी उसे याद आया कि कुछ दिन पहले उसने उस बूढ़े व्यक्ति की मदद नहीं की थी।  


उसने अपने माता-पिता से पूछा, 

हम उन लोगों की मदद कैसे कर सकते हैं जो बारिश में अपना घर खो चुके हैं?


उसके माता-पिता मुस्कुराए और बोले, 

अगर तुम सच में मदद करना चाहते हो, तो सबसे पहले खुद से शुरुआत करो। तुम अपने पुराने कपड़े और किताबें जरूरतमंद बच्चों को दे सकते हो।


अनिल ने अपने पुराने गर्म कपड़े और कुछ किताबें निकालीं और गाँव के उन लोगों में बाँट दीं जिन्हें सबसे ज्यादा जरूरत थी।  


जैसे ही उसने एक छोटे बच्चे को अपनी किताबें देते हुए खुशी से मुस्कुराते देखा, उसके मन में एक अजीब सी संतुष्टि हुई। उसने महसूस किया कि करुणा केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में होती है।  

इसके बाद, अनिल ने हमेशा जरूरतमंदों की मदद करने का संकल्प लिया। वह समझ गया कि जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो समाज में प्रेम और सहानुभूति बढ़ती है।  


नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि करुणा और मदद का भाव केवल दूसरों के जीवन को सुधारता ही नहीं, बल्कि हमें भी सच्ची खुशी देता है। 


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