सच्ची खुशी का रहस्य
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बुद्धिमान वृद्ध रहते थे, जिनका नाम महेश था। वह अपने ज्ञान और सादगी के कारण बहुत प्रसिद्ध थे। गाँव के लोग अक्सर उनके पास जीवन की समस्याओं का समाधान पाने आते थे।
एक दिन, एक युवा व्यापारी, रोहन, उनके पास आया। वह बहुत धनी था, उसके पास बड़ी हवेली, आलीशान गाड़ियाँ और सोने-चांदी के आभूषण थे, लेकिन फिर भी उसके चेहरे पर उदासी थी।
महेश ने रोहन से पूछा, बेटा, तुम इतनी उदास क्यों दिख रहे हो? तुम्हारे पास तो सारी सुविधाएँ हैं।
रोहन ने गहरी सांस ली और कहा, बाबा, मेरे पास सब कुछ है – पैसा, ऐशो-आराम, सत्ता – लेकिन फिर भी मैं खुश नहीं हूँ। मैं हमेशा चिंता में रहता हूँ। कृपया मुझे बताइए कि सच्ची खुशी का रहस्य क्या है?
महेश मुस्कुराए और बोले, अगर तुम सच्ची खुशी पाना चाहते हो, तो पहले अपने भीतर झाँको। क्या तुमने कभी अपने धन को किसी जरूरतमंद के साथ साझा किया है?
रोहन ने सिर हिलाया, नहीं बाबा, मैं हमेशा सोचता हूँ कि अगर मैं और अधिक कमाऊँगा तो शायद खुश हो जाऊँगा।
महेश ने कुछ सोचा और बोले, अगर तुम सचमुच खुशी को महसूस करना चाहते हो, तो एक कार्य करो।
उन्होंने रोहन को एक पुरानी टोकरी दी और कहा, इसे लेकर गाँव के गरीबों में जाकर देखो कि कौन सबसे अधिक परेशान है और उनकी मदद करो। फिर लौटकर मुझे बताओ कि तुम्हें कैसा महसूस हुआ।
रोहन को यह चुनौती अजीब लगी, लेकिन वह इसे पूरा करने के लिए तैयार हो गया।
रोहन ने टोकरी ली और गाँव में घूमने लगा। कुछ ही देर में उसने देखा कि एक वृद्ध महिला सड़क किनारे बैठी थी, उसके कपड़े फटे थे, और वह ठंड में कांप रही थी।
रोहन ने उसके पास जाकर पूछा, माँ, आपको किस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है?
वृद्ध महिला ने आँसू भरी आँखों से कहा, बेटा, कई दिनों से पेट भर खाना नहीं खाया है। अगर थोड़ी मदद मिल जाए तो जीवन आसान हो जाएगा।
रोहन ने बिना सोचे-समझे अपनी जेब से कुछ पैसे निकालकर महिला को दिए और पास की दुकान से उसके लिए भोजन भी खरीदा। जैसे ही महिला ने गर्म भोजन खाया, उसके चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान आ गई।
रोहन को अंदर से एक अजीब सी खुशी महसूस हुई, जो उसने पहले कभी अनुभव नहीं की थी।
वह वापस महेश बाबा के पास पहुँचा और कहा, बाबा, आज मैंने कुछ अनोखा अनुभव किया। जब मैंने उस वृद्ध महिला को भोजन दिया, तो उसके चेहरे पर जो खुशी आई, उससे मुझे भी सुकून मिला।
महेश ने मुस्कुराते हुए कहा, बिलकुल, बेटा! यही सच्ची खुशी है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, उनकी परेशानियाँ दूर करते हैं, तो हमें जो आनंद मिलता है, वही वास्तविक खुशी होती है। खुशी केवल संपत्ति में नहीं बल्कि सेवा और प्रेम में भी होती है।
नैतिक शिक्षा
रोहन ने उस दिन से अपना जीवन बदल दिया। वह अपने धन का एक हिस्सा जरूरतमंदों की सहायता में लगाने लगा, और धीरे-धीरे उसकी चिंता दूर होने लगी।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची खुशी केवल धन और ऐशो-आराम से नहीं मिलती, बल्कि दूसरों की मदद करके, प्यार बाँटकर, और समाज के लिए कुछ अच्छा करके प्राप्त होती है।
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