सच्ची दोस्ती का मूल्य - नैतिक कहानी

सच्ची दोस्ती का मूल्य

सच्ची दोस्ती का मूल्य

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में विजय और अजय नाम के दो गहरे दोस्त रहते थे। उनकी दोस्ती बचपन से चली आ रही थी। वे साथ खेलते, हँसते और एक-दूसरे की मदद करते थे।  


गाँव में उनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती थी। लेकिन वक्त के साथ, दोनों के हालात बदलने लगे।  


विजय एक गरीब परिवार से था, लेकिन मेहनती और ईमानदार था। दूसरी ओर, अजय का परिवार संपन्न था, और धीरे-धीरे उसने अपने धन के कारण गर्व करना शुरू कर दिया।  


एक दिन गाँव में एक बड़ा व्यापार अवसर आया। सभी व्यापारियों को शहर में अपनी दुकान लगाने की अनुमति मिलने वाली थी। अजय ने तुरंत अपनी दुकान के लिए निवेश किया, लेकिन विजय के पास पूंजी नहीं थी।  


विजय ने अजय से मदद माँगी, "मुझे थोड़ा सा कर्ज दे दो, मैं धीरे-धीरे चुका दूँगा।"


लेकिन अजय अब बदल चुका था। उसने विजय की मदद करने से इनकार कर दिया और कहा, "मुझे नहीं लगता कि तुम्हारे जैसे छोटे लोग इस अवसर का सही उपयोग कर पाएंगे।"


विजय को बहुत दुःख हुआ, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने गाँव के अन्य लोगों से छोटे-छोटे पैसे उधार लिए और खुद का व्यापार शुरू किया।  


धीरे-धीरे उसकी ईमानदारी और मेहनत ने लोगों का दिल जीत लिया। उसके सामान की माँग बढ़ने लगी, और उसका व्यापार सफल हो गया।


दूसरी ओर, अजय ने अपने धन पर भरोसा किया, लेकिन उसने ग्राहकों का सम्मान नहीं किया। उसकी दुकान पर धीरे-धीरे ग्राहक कम होने लगे।


कुछ ही वर्षों में विजय का व्यापार शहर में प्रसिद्ध हो गया। अजय, जिसने विजय की मदद करने से इनकार कर दिया था, अब संघर्ष कर रहा था।  


एक दिन, अजय विजय के पास आया और कहा, "मुझे गलत समझने के लिए माफ कर दो। मैंने दोस्ती और मेहनत की कीमत नहीं पहचानी थी।"


विजय ने मुस्कुराते हुए कहा, "दोस्ती का अर्थ केवल अच्छे समय में साथ रहने से नहीं है, बल्कि बुरे समय में भी एक-दूसरे की मदद करने से है।"


नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची दोस्ती केवल साथ रहने में नहीं, बल्कि एक-दूसरे की मदद करने और कठिन समय में सहयोग देने में होती है।

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