बहुत समय पहले की बात है एक ढोलकपुर नामक गांव हुआ करता था। वह पहलवानों के नाम से मशहूर था। वही श्याम पहलवान के घर में एक पुत्र का जन्म हुआ। उसका नाम रखा गया कलवा, कलवा बचपन से ही बहुत शरारती था, वह हमेशा पड़ोसियों को परेशान करता था, उसको दोस्तों से छीनकर खाना बहुत पसंद था। कलवा अपने गांव में सबसे तखड़ा लड़का था। जो दोस्त उसको राजी से खाने का समान नही देता वह उसकी बहुत पिटाई करता। धीरे- धीरे अब कलवा जवान हो चुका था। वह एक हट्टा कट्टा पहलवान बनकर तैयार हुआ जिसका मुकावला पूरे गांव में कोई नहीं कर सकता था। सभी कलवा से डरते थे। कलवा प्रतिदिन कुस्ती का अभ्यास करता। और सप्ताह में गांव- गांव का जाकर कुस्ती जीतकर इनाम लाता। यह सब देख कलवा के परिवार वाले बहुत खुश होते।
गांव वाले कहते-
अरे भैया देखो तो जरा जो कलवा बचपन में इतना परेशान करता था। आज वह तो अपने गांव का नाम क्षेत्र में रोशन कर रहा है भैय्या। देखना एक दिन अपना कलवा पूरे देश में एक दिन अपने गांव का नाम रोशन करेगा।
श्याम- हां काका जरूर अपना कलवा बहुत मेहनत करता है। और अब राष्ट्रीय कुस्ती योजना भी शुरू होने वाली है। इस बार तो अपना कलवा जरूर जीतेगा।
सभी गांव वाले कलवा के बारे में सोचते रहते है।
अब कलवा पहलवान नेशनल कुस्ती में भाग लेता है। और वह सभी बड़े से बड़े पहलवान को हराता जाता है। और फाइनल मुकाबले में वह सबसे बड़े पहलवान को भी हराकर कुश्ती जीत जाता है। सभी गांव वाले कलवा की जीत से बहुत खुश होते हैं।
और अब कलवा पहलवान की शादी सरपंच की लड़की से हो जाती है। अब कलवा एक खुशी की जिंदगी बिता रहा होता है।
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